भजन १०४ के प्रथम नौ पद तथा भजन ८ का तीसरा पद परमेश्वर को सर्वोच्च सृष्टिकर्ता के रूप में प्रगट करता है साथ ही यह बताता है कि माननीय रूप से परमेश्वर को किस रूप में पहचानें। इस भजन में भजनकार "शायद यह प्रस्तुत करता है कि जिस प्रकार एक बालक का साधारण विश्वास मूक रूप से किसी व्यक्ति के प्रति होता है बजाय इसके कि वह उसकी खोज करे। इसी प्रकार परमेश्वर की महिमा आकाश के ऊपर इसरायलीयों द्वारा देखी गयी।''१ एक सामान्य सत्य है कि परमेश्वर की महिमा दिखाई देती है उसकी सम्पूर्ण सृष्टि में। चन्द्रमा एवं नक्षत्रों को स्थापित करने के द्वारा उसका हाथों का हस्त शिल्प प्रगट होता है तथा वह उस प्रकार सम्पूर्ण संसार को प्रगट करता है।
Wednesday, January 28, 2009
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