इसरायली दृष्टिकोण में परमेश्वर को एक सर्वोच्च परमेश्वर के रूप में देखा गया है। इसरायली विचार में उसे सब वस्तुओं का सृजनकर्ता माना जाता था। तत्कालीन संस्कृति में ईश्वर को सर्वसर्वोच्च तथा शासक के रूप में पहचाना गया। यही दृष्टिकोण भजन लेखकों द्वारा भी अपनाया गया है। क्योंकि भजन ८ का तथा १०४ का संकलन भी १००० से ९०० ई. पूर्व माना जाता है अतः यह विश्वास कि परमेश्वर सर्वसृष्टिकर्ता है तथा उसने आकाश और पृथ्वी को सृजा है। "हे प्रभु हमारे स्वामी'' ८ः१९ में "प्रभु'' हेतु दो भिन्न इब्रानी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है प्रथम "याहवे'' तथा दूसरा "अदोनाई'' जिसे इंग्लिश अनुवादों में "सर्वोच्च'' वही उ(ारकर्ता ;निर्गमन का प्रभुद्ध या स्वामी अनुवादित किया गया है।
जब इसरायली प्रभु के "नाम'' के विषय में सोचते थे उनके विचारों में दो महत्वपूर्ण बातें होती थी। प्रथम परमेश्वर का चरित्र तथा दूसरा परमेश्वर के कार्यकलाप।
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