अंततः पुराहितों के एक वर्ग ने इनको एक संग्रह का रूप दिया। अतः भजनों का संकलन तथा तिथि के आधार पर यह कहा जा सकता है कि लगभग १००० वर्षों में इनका संकलन हुआ तथा ई. पू. ७०० से १५० ई. पू. के बीच इनका लेखन काल हुआ यद्यपि इस विवेचन का तात्पर्य यह था कि हम भजन ग्रन्थ के अन्तर्गत "प्रकृति संबंधी दृष्टिकोण'' का सही मूल्यांकन करें।
उसकी व्यापकता एक "लेखक'' तक सीमित नहीं एवं उसकी निरन्तरता एक काल तक सीमित नहीं। इसलिए इस्रायली समाज अपनी आराधना में यह दृष्टिकोण रखता है।
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