काव्यात्मक शैली के आधार पर यह भजन भक्तिगीत का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें सृष्टिकर्ता परमेश्वर तथा अपने लोगों को बचाने वाले परमेश्वर की स्तुति की गयी है। प्रथम तथा अंतिम पद प्रशंसा गान हैं इसकी संरचना इस प्रकार है
१। परमेश्वर का सार्वभौमीय वैभव
२। परमेश्वर का रहस्यमयी मार्ग
३। मानव को गौरव प्रदान करना
प्रकृति संबंधी भजनों में भी हम सृष्टिकर्ता का स्वरूप तथा भजन लेखकों का विचार पाते हैं। विशेषतः भजन ८, तथा १०४ में परमेश्वर के सृष्टि के कार्य संबंध में बताया गया है। यद्यपि न ही भजनों में न ही पु.नि. में पर्यावरण शब्द आया है परन्तु प्रकृति शब्द को हम पाते हैं जो उक्त शब्द से सम्बन्धित है।
Saturday, January 17, 2009
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