यह ब्लोग एक सद्प्रयास है। इसके माधयम से हम यह जानने और बताने का प्रयास करेन्गे कि किस प्रकार वेद बाइबिल भजन सन्हिता और अन्य धार्मिक पुस्तको मे प्रक्रिति के साथ मनुश्य को समन्जस्य करना न केवल आवश्यक है। वरन अपरिहार्य है। यद्यपि मे प्रभु ईशा का चरन सेवक हूं, लेकिन मेरी मान्यता है कि दुनिया की किसी भी धार्मिक पुस्तक में नफ़रत के लिये कोई जगह नहिं है। हर जगह बस प्रेम ही प्रेम है। फ़िर ये नफ़रत का महौल क्यों?
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