भजन संग्रह में कुछ चुने हुये भजन हैं ८, १०४, २९, १४८ जो सृष्टिकर्ता तथा प्रकृति के विषय में बताते हैं। इन्हें हम प्रकृति भजन कह सकते हैं। यद्यपि "पर्यावरण'' शब्द या इसका अनुवाद कहीं भी प्रयुक्त नहीं है, परन्तु इसरायली तथा तत्कालीन संस्कृतियों में 'प्रकृति' शब्द का उपयोग किया गया है जो 'पर्यावरण' शब्द के निकट कहा जा सकता है। उक्त प्रकृति भजनों में एक महत्वर्पूण बात यह दृष्टव्य होती है यहां पर प्रकृति पूजा जैसा विचार नहीं है वरन् "प्रकृतिदाता'' या "सृष्टिकर्ता'' को सराहा गया है। उसकी प्रशंसा की गयी है। प्रकृति भजनों में अधिकतर भजन बंधुवाई पूर्व काल के माने जाते हैं। क्योंकि इसरायलियों का प्रकृति से बहुत ही निकट का संबंध रहा है अतः उन्हें प्रकृति प्रेमी कहा जा सकता है। भजन कवि यही दृष्टिकोण प्रस्तुत अध्याय में विचित्र करने का प्रयास किया गया है। साथ ही सृष्टिकर्ता का स्वरूप क्या है प्रकृति के प्रति यह बताया गया है।
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आपका स्वागत है।
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
ReplyDeleteलिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteहे प्रभु यह तेरापथ
मेरे ब्लोग पर पधारे।
Acchi jaankari di aapne. Swagat blog parivar aur mere blog par bhi.
ReplyDeleteThanks for commrnfs. aapaka isi prakar sahayog apexhit hai. God bless U.
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