Sunday, December 28, 2008

इसरायलियों के जीवन में भजनों का विशेष महत्व था।

इसरायलियों के जीवन में भजनों का विशेष महत्व था। मंदिर में बलिदान चढ़ाते वक्त गाये जाने वाले भजनों का निर्माण किया गया तथा बाद में सभागृह में भी भजनों को गाया जाता है। "मंदिर में कुछ वाद्य यंत्र बजाने वाले थे और कुछ गायक मंडल थे......। भजनों के कुछ अंश पुरोहित गाते थे.....।''१ नबियों ने इसरायिलयों को सैद्धान्तिक तथा नैतिक शिक्षा प्रदान की परन्तु भजनों के माध्यम से उन्हें पापों का पश्चात्ताप, परमेश्वर के समाने तथा सताव एवं समस्या में जीवन को जीना सिखाया। इसरायली समाज एवं दिन प्रतिदिन के जीवन में भजनों का इतना महत्व था कि यह न केवल मंदिर एवं सभागृह तथा द्वितीय मंदिर में गाये जाते थे परन्तु घरों में भी ताकि बच्चे प्रारम्भ से ही इनके पवित्र शब्दों से परिचित हो जायें तथा उन्हें समझें। यद्यपि भजनों की अपनी पृष्ठ भूमि तथा संदर्भ है, कुछ भजन राजाओं हेतु रचे थे राजा मंदिर का उपासक तथा प्रबंधक था, मंदिर उपासना हेतु रचे गये। परन्तु हमारे शोध प्रबंध का विषम मुख्यतः प्रकृति से संबंधित एक अलग वर्ग अथवा स्तुती भजनों का उपवर्ग है जिसमें परमेश्वर सर्वोच्च सृष्टिकर्ता के रूप में प्रगट होता है।

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