Wednesday, December 31, 2008
happy new इयर नया साल मुबारक
गुज़री हुयी साल को अलविदा।
आओ नए साल का स्वागत करें।
प्रभु यीशु की कृपा सब पर बरसती रहे.
Sunday, December 28, 2008
इसरायलियों के जीवन में भजनों का विशेष महत्व था।
इसरायलियों के जीवन में भजनों का विशेष महत्व था। मंदिर में बलिदान चढ़ाते वक्त गाये जाने वाले भजनों का निर्माण किया गया तथा बाद में सभागृह में भी भजनों को गाया जाता है। "मंदिर में कुछ वाद्य यंत्र बजाने वाले थे और कुछ गायक मंडल थे......। भजनों के कुछ अंश पुरोहित गाते थे.....।''१ नबियों ने इसरायिलयों को सैद्धान्तिक तथा नैतिक शिक्षा प्रदान की परन्तु भजनों के माध्यम से उन्हें पापों का पश्चात्ताप, परमेश्वर के समाने तथा सताव एवं समस्या में जीवन को जीना सिखाया। इसरायली समाज एवं दिन प्रतिदिन के जीवन में भजनों का इतना महत्व था कि यह न केवल मंदिर एवं सभागृह तथा द्वितीय मंदिर में गाये जाते थे परन्तु घरों में भी ताकि बच्चे प्रारम्भ से ही इनके पवित्र शब्दों से परिचित हो जायें तथा उन्हें समझें। यद्यपि भजनों की अपनी पृष्ठ भूमि तथा संदर्भ है, कुछ भजन राजाओं हेतु रचे थे राजा मंदिर का उपासक तथा प्रबंधक था, मंदिर उपासना हेतु रचे गये। परन्तु हमारे शोध प्रबंध का विषम मुख्यतः प्रकृति से संबंधित एक अलग वर्ग अथवा स्तुती भजनों का उपवर्ग है जिसमें परमेश्वर सर्वोच्च सृष्टिकर्ता के रूप में प्रगट होता है।
Saturday, December 27, 2008
भजन संहिता में भजनों की ऐतिहासिक तथा मूल पृष्ठभूमि है।
Thursday, December 25, 2008
प्रकृति पूजा जैसा विचार नहीं है वरन् "प्रकृतिदाता'' या "सृष्टिकर्ता'' को सराहा गया है।
भजन संग्रह में कुछ चुने हुये भजन हैं ८, १०४, २९, १४८ जो सृष्टिकर्ता तथा प्रकृति के विषय में बताते हैं। इन्हें हम प्रकृति भजन कह सकते हैं। यद्यपि "पर्यावरण'' शब्द या इसका अनुवाद कहीं भी प्रयुक्त नहीं है, परन्तु इसरायली तथा तत्कालीन संस्कृतियों में 'प्रकृति' शब्द का उपयोग किया गया है जो 'पर्यावरण' शब्द के निकट कहा जा सकता है। उक्त प्रकृति भजनों में एक महत्वर्पूण बात यह दृष्टव्य होती है यहां पर प्रकृति पूजा जैसा विचार नहीं है वरन् "प्रकृतिदाता'' या "सृष्टिकर्ता'' को सराहा गया है। उसकी प्रशंसा की गयी है। प्रकृति भजनों में अधिकतर भजन बंधुवाई पूर्व काल के माने जाते हैं। क्योंकि इसरायलियों का प्रकृति से बहुत ही निकट का संबंध रहा है अतः उन्हें प्रकृति प्रेमी कहा जा सकता है। भजन कवि यही दृष्टिकोण प्रस्तुत अध्याय में विचित्र करने का प्रयास किया गया है। साथ ही सृष्टिकर्ता का स्वरूप क्या है प्रकृति के प्रति यह बताया गया है।