"भजन ८ में हम परमेश्वर विषयक याहवेवादी विचार तथा पर्यावरणीय क्रम पाते हैं न कि पुराहितीय वादी प्रभाव। पुराहितीय परंपरा में परमेश्वर पशु राज्य पर भी प्रभुता (शासन) करता है....... भजन निश्चित रूप से यह विचार प्रगट करता है कि समूचा पर्यावरणीय क्रम परनमेश्वर द्वारा संचालित किया जाता है।''१ अतः मनुष्य का यह नैतिक उत्तरदायित्व है पर्यावरण के प्रति जबकि यह उसका अंतरंग भाग है। परमेश्वर द्वारा मनुष्य को यह सामर्थ प्रदान की गयी है कि वह प्रकृति को नियंत्रित करे एक प्रतिनिधि के रूप में। यह मनुष्य के ऊपर है कि वह किस प्रकार प्रकृति को नियंत्रित करता है तथा उसकी चिंता करता है। तत्कालीन समय में भजनकार का तथा इसरायली दृष्टिकोण यह नहीं था कि पेड़ों को अनावश्यक रूप में काटा जाये। इसी बात को ण्क विद्वान कहते हैं कि "हम प्रकृति के भाग हैं, परन्तु परमेश्वर ने हमें इसे उत्तरदायी रूप से नियंत्रण करने हेतु नियुक्त किया है................ हम इस लिये परमेश्वर के प्रति उत्तरदायी हैं कि हम किस प्रकार इस शक्ति का प्रयोग करते हैं।''
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत अच्छा लिखा है
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम